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श्री भुवनेश्वरी
जय भुवनेसि भीति भय भंजनि भगवति भूषित देहा।
श्याम जलद अभिराम चिकुर चय लसत भाल शशि रेहा।।
उदय समय रवि बिम्ब अरुण छवि नयन तीनि तुअ भासे।
सिरमय जड़ित किरीट विराजित मुख सुषमा मृदु हासे।।
वाम उपरकर लसय अभय वर नीच बीच कर धन्या।
दहिन उपरकर अंकुस तसु अध पास भास गिरि कन्या।।
भूपर भवन वृत्तिदल षोडस ता बिच वसु दल कंजे।
ताहि बिच ऊपर तुअ पद युग कमल ध्यान भय भंजे।।
तुअ तनु रचन वचन गोचर नहि थकित शम्भु जगदीशा।
भगत मनोरथ वस तुअ तनु वचन वे आपित ईशा।।
रत्नपाणि भन सुनिय सुमन भय करुणा करू जगमाता।
पुरिय मनोरथ श्रीमिथिलेशक तुअ यश भव निरमाता।।
( तत्रैव )
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