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देवीक आरती
शुभ आरति जगदम्ब तिहारी। देखि समूह गिरिराज कुमारी।।
दीपक दीप पंचमुख धारी। ता मँह घृत कर्पूर सम्हारी।।
वीरा जनमन करत विचारी। प्राप्त समय अति सम सुखकारी।।
शिव विरंचि सनकादि मुरारी। कर आरति तुअ जगत विचारी।।
रत्नपाणि फल चाहत चारी। देहु जननि फल अति शुभकारी।।
( मैथिल भक्त प्रकाश )
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