सोमवार, 24 जून 2013

269 . मेरे नयनों की चाहत में

                       ( उज्जवल सुमित )
२ ६ ९ .

मेरे नयनों की चाहत में 
दिल जिनके बेचैन रहा करते थे 
आज ये नैन हुए हैं बेचैन उनके लिए 
पर उनके दिल को अब इसकी परवाह कहाँ 
मेरे नैनों की सुन्दरता का बखान करते 
जिनके ओठों पे थकान आती नहीं थी 
मेरे आँखों से जिनके जीवन की आशा का 
सन्देश मिला करता था 
जो इन आँखों में अशुओं की बूंद देख नहीं सकती थी 
वो आज गंगा जमुना बने इन नैनों की तरफ 
देखना भी उन्हें गंवारा नहीं !

सुधीर कुमार  ' सवेरा ' 
१ ४ - ० ६ - १ ९ ८ ४ 
८ - १ ५ am 

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