रविवार, 23 जून 2013

265 . अरे ऐसे भी क्या जीते हो


२ ६ ५ .

अरे ऐसे भी क्या जीते हो 
हँसते - हँसते जीना सीखो 
हर पल हर गम में 
हर असफलता और निराशा में 
जीना हो तो हँसना सीखो 
जब कुछ ना भाये 
मौसम भी बदरंग लगे 
बस जरा सा हँस दो 
हँसते ही सब लगे सुहाने 
कुछ खट्टी कुछ तीखी 
बातें जब भी सुनो कड़वी 
कोई करे कभी अभद्रता 
या कोई गाली देता 
बस जरा सा हँस कर देखो 
लगेगा न कुछ भी बुरा 
किसी बात से गर तकलीफ हो 
बस जरा सा हँस कर देखो 
ऐसा कर पाना सहज नहीं 
पर ऐसा निश्चित मानिये 
मुस्कुराहट आपकी 
व्यर्थ नहीं जाएगी 
ऐसा ही जानिए !

सुधीर कुमार ' सवेरा '   २ ५ - ० ४ - १ ९ ८ ४ 
९ - ५ ३ am कोलकाता 

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