गुरुवार, 21 जुलाई 2016

578 . श्रीगंगा १


                           श्रीगंगा १ 
ब्रह्म कमण्डलु - वास - सुवासिनि सागर - नागर - गृह बाले !
पातक महिष - विदारण - कारण धृत करवाल बीच माले !!
जय गंगे जय गंगे शरणागत भय भंगे !
सुर - मुनि - मनुज रचित पूजोचित कुसुम विचित्रित तीरे !
त्रिनयन - मौलि - जटाचय चुम्बित भूति - भुसित सित नीरे !!
हरिपद - कमल - गलित मधुसोदर पुण्य पुनित सुर लोके !
प्रबिलसदमरपुरी पद दान विधान विनाशित शोके !!
सहज दयालुतथा पातकि जन नरक निवारण निपुणे !
रुद्रसिंह नरपति वरदायक विद्यापति कवि भणित गुणे !!

बुधवार, 20 जुलाई 2016

577 . श्रीगंगा


                                    श्रीगंगा 
बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे ! छाड़इते निकट नयन वह  नीरे !!
कर जोड़ि बिनमों विमल तरंगे ! पुन दरसन होअ पुनमति गङ्गे !!
एक अपराध छेमब मोहि जानी ! परसल माए पाए तुअ पानी !!
कि करब जप तप जोग धेयाने ! जनम कृतारथ एकहि सनाने !!
भनहि विद्यापति समदयों तोहि ! अंतकाल जनि बिसरह मोहि !!

सोमवार, 18 जुलाई 2016

576 . श्रीराधा


                                 श्रीराधा 
देख - देख राधा रूप अपार !
अपरुबके बिहिं आनि मेराऔल खिति तल लावनिसार !!
अंगहि अंग अनंग मुरछाएल हेरए पड़ए अधीर !
मनमथ कोटि मथन करू जे जन से हेरि महिमधि गोर !!
कत - कत लखमि चरण तल नेओछए रंगिनि हेरि विभोरि !
करू अभिलाष मनहि पद पंकज अहनिसि कोर अगोरि !!

रविवार, 17 जुलाई 2016

575 . श्रीसीता


                                   श्रीसीता 
रे नरनाह सतत भजु ताही ! जाहि नहि जननि जनक नहि जाही !
बसु नइहरा ससुरा के नाम ! जननिक सिर चढ़ि गेलि ओही गाम !!
सासुक कोर में सुतल जमाए ! समधि विलह सँ बिलहल जाए !!
जाहि उदर सँ बाहर भेलि ! से पुनि पलटि ततहि चलि गेलि !!
भनहि विद्यापति सुकवि सुजान ! कविक मरमकेँ कवि पहिचान !!

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

574 . श्रीभगवती काली


                           श्रीभगवती काली 
ललित वसन देवी सिर सिंदूर ! हरखैत आबे देवी काली स्वरुप !!
चौदिस जोगिन नचइत आब ! पाँचो बहिन माँ हे मंगल गाब !!
नव वेलपत्र ओ अड़हुल फूल ! और अधिक सोहे सुन्दर धूप !!
सुन्दर सुन्दरि देवि भक्ति अराधिअ ! नेपुर शब्द सुनि तुरत दुःख नासिअ !!
भनहि विद्यापति कालिय सेवि ! सतत रहब माहे दाहिनि देवि !!
                                                           ( मैथिल भक्त प्रकाश )

बुधवार, 13 जुलाई 2016

573 . श्रीभगवती दिगम्बरि


                      श्रीभगवती दिगम्बरि 
भक्तक सुधि ले भगवति मोर ! पूछिए दिगम्बरि को गति मोर !!
पाट पटम्बर देलन्हि ओछाय ! वैसली दिगम्बरि आसन लगाय !!
तेजलहु मातु - पिता कुल चारि ! धैलहुँ भगवती शरण तोहारि !!
भनहि विद्यापति कालिय सेवि ! सदय रहब माहे दाहिनि देवि !!

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

572 . श्रीकालिका


                             श्रीकालिका 
पहिल पहर कालिका अवतार ! सुर नर मुनि कर मंगलाचार !!
दुसरे पहर देवि तुहि त्रिपुरारी ! काली नागिनि पीठि भेल असवारि !
तेसर पहर देवि खप्पर हाथ ! सिंह चढ़ल देवि खप्पर हाथ !!
चौठ पहर देवि बाघछाल वेश ! सहस्त्र कला लै उगैथ दिनेश !!
भनहि विद्यापति सुनु जगदम्बा ! सेवक जनके तुहीं अवलम्बा !!
                                                               ( मैथिल भक्त प्रकाश )

सोमवार, 11 जुलाई 2016

571 .श्री दुर्गा


                                 श्री दुर्गा
कनक - भूधर - शिखर - वासिनि , चन्द्रिकाचय चारु हासिनि ! 
दशन - कोटि - विकास वण्डीकम् , तुलित चन्द्र्कले !!
क्रुद्ध - सुर - रिपु - बल - निपातिनि , महिष - शुम्भ - निशुम्भघातनि !
भीत - भक्त - भयापनोदन , पाटव - प्रबले !!
जय देवि दुर्ग दुरित - तारिणि , दुर्ग मारि - विमर्द - कारिणी !
भक्ति - नम्र - सुरासुराधिप - मंगलायतरे !!
गगन - मण्डल - गर्भगाहिनि समर भूमिषु सिंहवाहिनी !
परशु - पाश - कृपाण - सायक - शंखक - चक्र - धरे !!
अष्ट - भैरवि संगंग - शालिनि स्वकर - कृत्त - कपाल - मालिनि !
दनुज - शोणित - पिशित - वर्धित पारणा - रमसे !!
संसारबन्ध - निदान - मोचनि - चन्द्र  - भानु - कृशानु - लोचनि !
योगिनीगण - नृत्य शोभित नृत्य भूमि रसे !!
जगति  पालन - जनन - मारण - रूप - कार्य -सद्य कारण !
हरि - बिरञ्चि - महेश - शेखर - चुम्ब्यमान - पदे !!
सकल -पापकला - परीच्युति - सुकवि - विद्यापति - कृत - स्तुति !
तोषिते शिवसिंह - भूपति - कामना फलदे !!
                                                              ( विद्यापति गीतावली )

रविवार, 10 जुलाई 2016

570 . श्रीकाली


                         श्रीकाली 
आदि भवानि विनय तुअ पाय ! तुअ सुमरैत दुरत दूर जाय !
सिंह चढ़ल देवि देल परवेश ! बघछल पहिरन योगिन वेश !!
बाम लेल खपर दहिन लेल कांति ! असुरकँ बधय चललि निशि राति !
मारल असुर भक्त प्रतिपाल ! बिछि - बिछि गाधल मुण्डक माल !!
तोहि भल छाज देवि मुण्डहार ! नूपुर शब्द उठय झनकार !
भनई विद्यापति काली केलि ! सदा रहु मैया दाहिनि भेलि !!
                                                                ( प्राचीन गीत )

शनिवार, 9 जुलाई 2016

569 . श्रीशक्ति


                                  श्रीशक्ति 
विदिता देवी विदिता हो केश सोहन्ती !
एकानेक सहसको धारिनि अरि - रंगा पुरनन्ति !!
कज्जलरूप तुअ काली कहिअए उज्जवल रूप तुअ वाणी  !
रविमण्डल प्रचण्डा कहिअए , गङ्गा कहिअए पानी !!
ब्रह्मा घर ब्रह्माणी कहिअए , हर घर कहिअए गौरी !
नारायण घर कमला कहिअए , के जान उत्पत्ति तोरी !!
विद्यापति कविवर इहो गाओल जाचक जन के गती !
हासिनि देइ पति गरुड़नारायण देवसिंह नरपती !!
                                         ( प्राचीन गीत )

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

568 . श्री गायत्री


                             श्री गायत्री 
जय जय भगवती भीमा भवानी ! चारि वेदं अवतरु ब्रह्मवादिनी !
हरिहर ब्रह्मा पूछइत भमे एकओ न जान आदि तुम मरमे !!
भनई विद्यापति राए मुकुटमणि ! जित्नओ रूप नारायण नृपति धरणि !!
( प्राचीन गीत )

गुरुवार, 7 जुलाई 2016

567 . हे माय अहाँ बिनु आश ककर


हे माय अहाँ बिनु आश ककर 
जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
जं माय अहाँ दुःख नहि सुनबइ , तँ जाय कहू ककरा कहबइ ?
करू माफ़ जननि अपराध हमर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
हम भरि जग सँ ठुकरायल छी , माँ अहिंक शरण में आयल छी ,
देखू हम पडलहु बीच भँवर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
अहाँ काली - लक्ष्मी कल्याणी छी , तारा - अम्बे - ब्रह्माणी छी ,
अछि पुत्र " प्रदीप " बनल टूगर , हे माय अहाँ बिनु आश ककर ?
------------चंद्रमणि 

बुधवार, 6 जुलाई 2016

566 .श्रीमहालक्ष्मी


                               श्रीमहालक्ष्मी 
जै कमला कमलयत लोचनि भव भय मोचनि कन्या !
धन रूचि कुच चामी कर तनु रूचि चारि भुजा अतिधन्या !!
चारु किरीट विराजित मस्तक धारनि पाटक चीरे !
लसय वराभय कर दुई दुह पदमयुगल सुधीरेे !!
चारि कनकघट भरल सुधारस अमृत गज कर लाए !
वाम दहिन भय् सिञ्चित कर मुख कमल मनोहर जाए !
मणिगण जटित लसित भूखण तनु करुणा करू जगमाता !
शंकर किंकर इन्द्र आदि सुर सेवक जनिक विधाता !!
पंकज आसन परम विकासन ताहि उपर लस देवी !
रत्नपाणि तसु ध्यान मगन मन श्रीमिथिलेशक सेवी !!
( तत्रैव )

मंगलवार, 5 जुलाई 2016

565 .-भगवती गीत . जय अम्बे जय अम्बे जय अम्बे


              भगवती - गीत 


जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे 


नूतन सघन सजल नीरद छवि 

शंकर नाम लेवैया 

योगिनी कोटि अनेक डाकिनी 

नाचे ता ता थैया !

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


मुण्डमाल सिर व्याल विराजित 

वसन बघम्बर राजै 

कर खप्पड़ धरि किञ्जल सितयुत 

कटि किंकिणी घन बाजै 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


शम्भूशरण शमसान निवासिनी 

सब आसन सुख दैया 

डिमिक डिमिक डिम डमरू बाजै 

नाचे ता ता थैया 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


शिवशनकादि आदिमुनि सेवित 

शुम्भ निशुम्भ वधैया 

शंकरदत्त कर विनती आरती 

जय जय तारिणी मैया 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


चतुरानन स्तुति भजु कीन्हौ 

निद्रा त्यजहूँ मुरारी 

मधुकैटभ मायावश कीन्हौं 

मारहुँ चक्र सुदर्शनधारी 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


समरहिं शुम्भ निशुम्भहिं मारो 

जगत कियो शुभकारी 

सिंहवाहन देवी खड्ग विराजित 

महिषासुर संहारी 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


अति विस्तार बदन है तेरो 

जिहवा लेल पसारी 

रक्तबीज को घात कियो है 

चण्ड मुण्ड को मारी 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


परम सुन्दर रूप धरो है 

त्रिभुवन मोहनकारी 

परम ज्योति कल्याणकारिणी 

संतन के उबारी 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे


चन्द्रभाल करताल किंकिणी 

पग नूपुर झंकारी 

चहुँदिशि नाचे अनेक प्रेतगण 

नाचे जय - जय काली 

जय अम्बे  जय अम्बे   जय अम्बे !!

सोमवार, 4 जुलाई 2016

564 .विद्यापति ----भगवती गीत


भगवती गीत 
जय - जय भैरवि असुर - भयाउनि , पशुपति भामिनि माया !
सहज सुमति वर दिअओ गोसाउनि , अनुगत गति तुअ पाया !!
वासर रैनि शवासन शोभित , चरण चन्द्र्मनि  चुडा !
कतओक दैत्य मारि मुँह मेललि , कतओ उगिलि कैल कूड़ा !!
सामर वरन नयन अनुरंजित , जलद जोग फुल कोका !
कट - कट विकट ओठ - पुट पांडरि , लिधुर फेन उठ फोका !
घन - घन घनन घुंघरू कत बजाय , हन - हन कर तुअ काता !
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक , पुत्र विसरु जनि माता !!
-------------विद्यापति