श्रीशक्ति
विदिता देवी विदिता हो केश सोहन्ती !
एकानेक सहसको धारिनि अरि - रंगा पुरनन्ति !!
कज्जलरूप तुअ काली कहिअए उज्जवल रूप तुअ वाणी !
रविमण्डल प्रचण्डा कहिअए , गङ्गा कहिअए पानी !!
ब्रह्मा घर ब्रह्माणी कहिअए , हर घर कहिअए गौरी !
नारायण घर कमला कहिअए , के जान उत्पत्ति तोरी !!
विद्यापति कविवर इहो गाओल जाचक जन के गती !
हासिनि देइ पति गरुड़नारायण देवसिंह नरपती !!
( प्राचीन गीत )
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