श्रीकालिका
पहिल पहर कालिका अवतार ! सुर नर मुनि कर मंगलाचार !!
दुसरे पहर देवि तुहि त्रिपुरारी ! काली नागिनि पीठि भेल असवारि !
तेसर पहर देवि खप्पर हाथ ! सिंह चढ़ल देवि खप्पर हाथ !!
चौठ पहर देवि बाघछाल वेश ! सहस्त्र कला लै उगैथ दिनेश !!
भनहि विद्यापति सुनु जगदम्बा ! सेवक जनके तुहीं अवलम्बा !!
( मैथिल भक्त प्रकाश )
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