सोमवार, 18 जुलाई 2016

576 . श्रीराधा


                                 श्रीराधा 
देख - देख राधा रूप अपार !
अपरुबके बिहिं आनि मेराऔल खिति तल लावनिसार !!
अंगहि अंग अनंग मुरछाएल हेरए पड़ए अधीर !
मनमथ कोटि मथन करू जे जन से हेरि महिमधि गोर !!
कत - कत लखमि चरण तल नेओछए रंगिनि हेरि विभोरि !
करू अभिलाष मनहि पद पंकज अहनिसि कोर अगोरि !!

कोई टिप्पणी नहीं: