गुरुवार, 14 जुलाई 2016

574 . श्रीभगवती काली


                           श्रीभगवती काली 
ललित वसन देवी सिर सिंदूर ! हरखैत आबे देवी काली स्वरुप !!
चौदिस जोगिन नचइत आब ! पाँचो बहिन माँ हे मंगल गाब !!
नव वेलपत्र ओ अड़हुल फूल ! और अधिक सोहे सुन्दर धूप !!
सुन्दर सुन्दरि देवि भक्ति अराधिअ ! नेपुर शब्द सुनि तुरत दुःख नासिअ !!
भनहि विद्यापति कालिय सेवि ! सतत रहब माहे दाहिनि देवि !!
                                                           ( मैथिल भक्त प्रकाश )

कोई टिप्पणी नहीं: