श्रीभगवती काली
ललित वसन देवी सिर सिंदूर ! हरखैत आबे देवी काली स्वरुप !!
चौदिस जोगिन नचइत आब ! पाँचो बहिन माँ हे मंगल गाब !!
नव वेलपत्र ओ अड़हुल फूल ! और अधिक सोहे सुन्दर धूप !!
सुन्दर सुन्दरि देवि भक्ति अराधिअ ! नेपुर शब्द सुनि तुरत दुःख नासिअ !!
भनहि विद्यापति कालिय सेवि ! सतत रहब माहे दाहिनि देवि !!
( मैथिल भक्त प्रकाश )
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