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नमो मृडानी गिरितनया।
सुरजन ईश सकल जन पूजित पद सरोज सदय हृदया।
देवि भवानीणि सुराधिप माया त्रिभुवन परिणि जलधि निलया।।
कण्ठ विराजित हाल फणमणि चौसठि पीठ महविजया।
डिम डिम डिम डमरुक राविनि।
कुट कुट कटक चारु चालिणि।।
धयि धयि धयिअ बाज मृदङ्गिनि।
धूमि धूमि धिमि मोद मोहिणि।।
देवि महेशरि मोहि निहारह शंकर ह्रदय सायानी।
मल्ल जितामित्र भूपति वाणी पुरह मनोरथ हमर भवानी।
जितामित्रमल्ल ( मैथिली शैव साहित्य )
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