गुरुवार, 11 मई 2017

760 . जय देवि वर देह करह उधार। तोहहु कयल मात जगत विचार।।


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जय देवि वर देह करह उधार। तोहहु कयल मात जगत विचार।। 
वाण खरग चक्र पात्र धर हाथ। चरम गदा धनु बिन्दु तुअ साथ।।
केसरि उपर छलि त्रिभुवन माता। सुर असुर नर जग्रहुक धाता।।
जगत चंदन भन आदि सूत्रधार।  शंभु सदाशिव करथु बिहार।।
जगतचन्द ( मैथिली नाटकक उदभव अओर विकास )

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