ADHURI KAVITA SMRITI
बुधवार, 3 मई 2017
752 . जय जय शंकरि शकर जाये। थिति कृति संहति कारिणि माये।
७५२
जय जय शंकरि शकर जाये। थिति कृति संहति कारिणि माये।
जलद कतक शशि रूचि सम देहा। त्रिगुण विधायिनी त्रिगुण सिनेहा।।
हरि विधि वासव दिनपति चंद। तुअ पद पंकज के नहि दन्द।।
मल्ल अमित जित भूपति वाणी। पुरथु मनोरथ शम्भु भवानी।।
( मैथिली शैव साहित्य )
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