शनिवार, 4 फ़रवरी 2017

678 . मातङ्गिनी -- कीरक समरूचि ललित श्याम तनु मणिमय भूषण देहा।


                                     ६७८
                               मातङ्गिनी  
कीरक समरूचि ललित श्याम तनु मणिमय भूषण देहा।मणि मुक्तादिक हार सुलक्षाणि भाल बाल शशि रेहा।।
मधुरहास मुखमण्डल मण्डित लोचन तीनि सुभासे। 
विधि आदिक सुर चरण सुसेवित पहिरन शुचि पटवासे।। 
रत्नसिंहासन पर तुअ पदयुग षोडस वयस विराजे। 
असि अङ्गकुस लस दहिन हाथ युग पाश खेट दुइ वामे।।
अष्ट सिद्धिमय हरिहर सेवत मातङ्गिनि तुअ नामे।।
सुरनर मुनि जग ध्यान धरत नित आगम निगम बखाने। 
भुक्ति सुख आदिक पावत सतत लहत कल्याने।।
आदिनाथ पर कृपायुक्त भय दाहिनि रहु जगमाया। 
चारि पदारथ सुत धन मंगल दय करि करू नित दाया।।

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