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धूमावती
भगवति विदित श्यामरुक्ष तनु धूमावति तुअ नामे।
केसपास अति लम्बित फूजल गगन देह अभिरामे।।
कलह प्रेममय मलिन वसन रूचि विकट दसन छवि छाजे।
क्षुधित सतत मन दीन त्रिलोचनि तरल सुभावहिं राजे।।
मन उद्वेग दुसह अनुछन जन महिमा जगभरि जाने।
आदिनाथ पर कृपायुक्त भय सतत करिय कल्याने।।
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