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दुनियाँ वालों सुन लो तुम भी
एक दिवाना हूँ मैं भी
चाहे इधर
चाहे उधर
तुम देखो जिधर
मैं आऊं नज़र उधर ही उधर
चाहो या न चाहो सुनो तुम भी
दिल की है एक दास्ताँ मेरी भी
खाता हूँ
पीता हूँ
मौज मस्ती से
जिन्दगी बसर अपना करता हूँ
पर दिले दर्द की है एक टीस मेरी भी
एक ही है मेरी जान मेरी जिन्दगी भी
नाम से जिसके
मधु का स्वाद
माँ का प्यार
दोनों ही परिलक्षित होता है
अब ओ बिछर गया है मुझ से
पर आशा है मिलेगी कभी न कभी
यादों में ख्यालों में
बसती है वो
मेरी हर साँसों में
समझो न
देखो न
मुझसे दूर
तुम जाओ ना
हो जाओगी दूर अगर तुम भी
क्या रह पाऊंगा जिन्दा फिर भी
एक नज़र
इस तरफ
देखो तो
कितनी है तड़प
तेरे प्यार में हो जाऊँगा दीवाना भी
पर तुझको क्या खबर हो पाएगी तब भी
एक तमन्ना
एक आरजू
एक ख्वाहिस
एक मिन्नत
एक फरियाद सुनो भी
एक बार तो आ जाओ भी
मेरे महल से
मेरे बगल से
मेरे दरो दिवार से
मेरे हर जर्रे - जर्रे से
तेरा ही नाम तेरी ही छाया
देखने को पढने को मिलेगी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 23-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
दुनियाँ वालों सुन लो तुम भी
एक दिवाना हूँ मैं भी
चाहे इधर
चाहे उधर
तुम देखो जिधर
मैं आऊं नज़र उधर ही उधर
चाहो या न चाहो सुनो तुम भी
दिल की है एक दास्ताँ मेरी भी
खाता हूँ
पीता हूँ
मौज मस्ती से
जिन्दगी बसर अपना करता हूँ
पर दिले दर्द की है एक टीस मेरी भी
एक ही है मेरी जान मेरी जिन्दगी भी
नाम से जिसके
मधु का स्वाद
माँ का प्यार
दोनों ही परिलक्षित होता है
अब ओ बिछर गया है मुझ से
पर आशा है मिलेगी कभी न कभी
यादों में ख्यालों में
बसती है वो
मेरी हर साँसों में
समझो न
देखो न
मुझसे दूर
तुम जाओ ना
हो जाओगी दूर अगर तुम भी
क्या रह पाऊंगा जिन्दा फिर भी
एक नज़र
इस तरफ
देखो तो
कितनी है तड़प
तेरे प्यार में हो जाऊँगा दीवाना भी
पर तुझको क्या खबर हो पाएगी तब भी
एक तमन्ना
एक आरजू
एक ख्वाहिस
एक मिन्नत
एक फरियाद सुनो भी
एक बार तो आ जाओ भी
मेरे महल से
मेरे बगल से
मेरे दरो दिवार से
मेरे हर जर्रे - जर्रे से
तेरा ही नाम तेरी ही छाया
देखने को पढने को मिलेगी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 23-10-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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