181 . तुमको देख आँखें वैरण छल छला आयी
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तुमको देख आँखें वैरण छल छला आयी
देखते ही तुम्हे एक भूली सी कहानी याद आयी
तुम जानती हो तुम्हारा ही था ह्रदय यह
भले ही तुम होकर भी अपनी
आज कहलाती हो परायी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 10-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से
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