ADHURI KAVITA SMRITI
मंगलवार, 27 नवंबर 2012
183 . अपने शब्दों के जाल से
183 .
अपने शब्दों के जाल से
भले लाख चाहे कोई
खुद को ढांपना
पर हर इंसान है नंगा मेरे सामने !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 29-01-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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