178 .
भूलों की एक याद
यादों की एक भूल
मन में भरती रहती है एक टीस
प्रिया की याद
यादों की बौछार
उसपे ये तन्हाई का आलम
और ये सावन की बहार
एक वर्ष बीते
युग जीते
पाया सुख हर सिंगार
तब कहीं थे
आज कहीं हैं
पर होगा हर जन्म में
ये बार - बार
राखी का त्यौहार
मिला न बहना का प्यार
बंजारे की जिन्दगी
फूल खिली नहीं
मुरझा जायेगी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 04-08-1982
चित्र गूगल के सौजन्य से
भूलों की एक याद
यादों की एक भूल
मन में भरती रहती है एक टीस
प्रिया की याद
यादों की बौछार
उसपे ये तन्हाई का आलम
और ये सावन की बहार
एक वर्ष बीते
युग जीते
पाया सुख हर सिंगार
तब कहीं थे
आज कहीं हैं
पर होगा हर जन्म में
ये बार - बार
राखी का त्यौहार
मिला न बहना का प्यार
बंजारे की जिन्दगी
फूल खिली नहीं
मुरझा जायेगी !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 04-08-1982
चित्र गूगल के सौजन्य से
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें