ADHURI KAVITA SMRITI
बुधवार, 2 जनवरी 2013
194 . वर्ष पर वर्ष बितते गए
194 .
वर्ष पर वर्ष बितते गए
यादों के फूल खिलते गए
पतझड़ का मौसम लहराता रहा
जफाई के नोंक चुभते रहे
सतरंगी तारों का था वो मौसम
हर डाली पे थे फूल खिलते
!
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 1
2-01-1984
चित्र गूगल के सौजन्य से
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