198 .जिन्दगी यादों की डायरी है
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जिन्दगी यादों की डायरी है
यादें गम और ख़ुशी की दास्ताँ हैं
खुशियाँ होती हैं कम
या भूलने वाली
पर गम नश्तर सी चुभने वाली
पस से भरी हुई
फोड़े की तरह
नीरस वीरान जिन्दगी
केवल उत्तमता की आशा से
खिंची है चली जाती !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-07-1980
चित्र गूगल के सौजन्य से
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