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सोता रह रे नीच समाज
मरता रह रे नीच समाज
तेरी यह दशा ही तुझको है प्यारी
व्यथा में लिपटता रह रे नीच समाज
गिरा लिया है खुद को इतना
अब उठने का साहस ही न रहा
अपना ही बोया अब तू काटे जा
छल ,धोखा , झूठ , बेईमानी
जो तू अब तक बोता रहा
लेता रह अब यही सब तुम
और खूब बिलखता रह
पर अब कोई नहीं सुनेगा
बस अपना रोना तू ही सुनेगा
राम , कृष्ण को मंदिर में है छोड़ा
अपने में कंस और रावण को बिठाया
फिर क्यों कोई राम - कृष्ण तुझपे रोयेगा !
सुधीर ' कुमार 'सवेरा ' 09-12-1983
सोता रह रे नीच समाज
मरता रह रे नीच समाज
तेरी यह दशा ही तुझको है प्यारी
व्यथा में लिपटता रह रे नीच समाज
गिरा लिया है खुद को इतना
अब उठने का साहस ही न रहा
अपना ही बोया अब तू काटे जा
छल ,धोखा , झूठ , बेईमानी
जो तू अब तक बोता रहा
लेता रह अब यही सब तुम
और खूब बिलखता रह
पर अब कोई नहीं सुनेगा
बस अपना रोना तू ही सुनेगा
राम , कृष्ण को मंदिर में है छोड़ा
अपने में कंस और रावण को बिठाया
फिर क्यों कोई राम - कृष्ण तुझपे रोयेगा !
सुधीर ' कुमार 'सवेरा ' 09-12-1983
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