५३.
भूख हिम्मत है इन्सान की
सुख कायरता है उसकी
भूख इन्सान को बेवकूफ भी बना देता है
कभी - कभी
भूख के लिए
कब क्यों और कहाँ भी
बेमानी है
भूख , चिंता में ही
ख़त्म होती कहानी है
भूख निडरता देता है
इन्सान को
भूख डरपोक बनाता है
इन्सान को
भूख इन्सान को कर्मठ बनाता है
सुख बना देता आलसी है
सर्व शक्ति संपन्न यह निरीह समाज
कुछ कमजोर लोगों के
वर्ग से हार जाता है
आखिर क्यों ?
स्व की पहचान नहीं उसे
अपनी ताकत का
अंदाज नहीं उसे
बस जाग उठो
तुम एक बार
हो जायेगा
नूतन विहान
बस एक बार
अपनी तन्द्रा तोड़ो
कमर कसो
और जूझ पड़ो
सफलता तेरे क़दमों में होगी
अधिकार तुम्हारे हाथों में |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २६-११-१९८३.
भूख हिम्मत है इन्सान की
सुख कायरता है उसकी
भूख इन्सान को बेवकूफ भी बना देता है
कभी - कभी
भूख के लिए
कब क्यों और कहाँ भी
बेमानी है
भूख , चिंता में ही
ख़त्म होती कहानी है
भूख निडरता देता है
इन्सान को
भूख डरपोक बनाता है
इन्सान को
भूख इन्सान को कर्मठ बनाता है
सुख बना देता आलसी है
सर्व शक्ति संपन्न यह निरीह समाज
कुछ कमजोर लोगों के
वर्ग से हार जाता है
आखिर क्यों ?
स्व की पहचान नहीं उसे
अपनी ताकत का
अंदाज नहीं उसे
बस जाग उठो
तुम एक बार
हो जायेगा
नूतन विहान
बस एक बार
अपनी तन्द्रा तोड़ो
कमर कसो
और जूझ पड़ो
सफलता तेरे क़दमों में होगी
अधिकार तुम्हारे हाथों में |
सुधीर कुमार ' सवेरा ' २६-११-१९८३.
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