२९१.
दिल जिनसे लगा बेमुरब्बत से वो छोड़ गए !
इंतजार की आखिर दवा मौत ही है !!
तुझसे दिल लगा कर इतना ही मिला !
जब आई तेरी याद आंसू निकल आये !!
शामिल नहीं है जिसमे तेरी मुस्कराहट !
वह जिन्दगी भी किसी जहन्नुम से कम नहीं !!
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी याद से आंसू !
अभी छेड़ी कहाँ है दास्ताने जिन्दगी मैंने !!
बेवफाई को भी वफा समझा !
हमने जालिम तेरे ख़ुशी के लिए !!
अपनी तन्हाई व साये से लिपट कर सो गए !
रख के अपने दिल पे गम का पत्थर सो गए !!
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १९ - ०६ - १९८४
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