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' आवश्यकता ' है का कॉलम देख
मन अब प्रफुल्लित होता नहीं
चाहकर आवेदन पत्र भेजना भी
पैसा जेब में रहता नहीं
यह बात भी आत्मा मन को कहती रहती
कोई मंत्री का पत्र है पास तुम्हारे नहीं
क्योंकर कष्ट फिर तब तुम देते हो मुझको
चरण पखारने का गंगाजल भी
जब प्रदुषण से खाली नहीं
भरने को जेब चेयरमैनों के
बेचने को घर बार भी है तुम्हारे पास नहीं !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
' आवश्यकता ' है का कॉलम देख
मन अब प्रफुल्लित होता नहीं
चाहकर आवेदन पत्र भेजना भी
पैसा जेब में रहता नहीं
यह बात भी आत्मा मन को कहती रहती
कोई मंत्री का पत्र है पास तुम्हारे नहीं
क्योंकर कष्ट फिर तब तुम देते हो मुझको
चरण पखारने का गंगाजल भी
जब प्रदुषण से खाली नहीं
भरने को जेब चेयरमैनों के
बेचने को घर बार भी है तुम्हारे पास नहीं !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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