ADHURI KAVITA SMRITI
गुरुवार, 19 मार्च 2015
418 . पूर्णिमा के चाँद को
४१८
पूर्णिमा के चाँद को
जब भी देखता हूँ
एक खोया चाँद
वो भी दाग लगा
यादों के झरोंखों से
झाँका करता है मुझको !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें