सोमवार, 16 मार्च 2015

417 . ये हक़ है

४१७ 
ये हक़ है 
मिला तुझे ही 
नज़रें मिले तो 
मुँह अपना 
यूँ फेर लो 
ऐसे जैसे 
कई जन्मों की 
कोई पहचान 
कभी थी ही नहीं !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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