ADHURI KAVITA SMRITI
मंगलवार, 24 मार्च 2015
423 .कथा - व्यथा
४२३
कथा - व्यथा
इस जीवन का
सपनों का आदर्शों का
कर्मों का भाग्यों का
राही अनजान
धर्मों का
सुख छिपा था
कमल सा
कहीं कीचड़ में
बहुत खोजा उसको
इसमें उसमे तुममें
पर मिला मुझको
वो मुझ ही में !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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