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वलित चञ्चल चारु लोचनि भय विमोचनि सदय भगवति हे।
रुचिर भूषण तनु विभूषित बिन्दु विलसित हनुमति हे !!
हरविहारिणि मुक्ति कारिणि भगततारिणि सुर शुभंगकरि हे।
गिरिनिवासनि शुम्भनाशिनि बलिपलाशिनि रिपु भयंगकारि हे।
चक्र शूल कृपाण शरधनु कुलिश तोमर उरग धारिणि हे।
सिंहवाहिनि विभवदायिनि परमभाविनि महिषदारिणि हे।!
बादंलोहित देहशोभित कयल मोहित सकल अरिदल हे।
स्फुरित चाप निनाद सुनि सुनि त्वरित हरषित पड़ल निजवल हे।!
भानुनाथ सुदान मांगथि संग कय तोहि नयन हुत भुग हे।
श्रीमहेश्वर सिंह भूपति सुत विनोदित जिवथि युग - युग हे।!
( तत्रैव )
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