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रहू देवि दासी विषय सहाय।
जय जय जगदीश्वर - वामांगी जय जय गणपति - माय।।
अतिशय चिन्ता मन में छल अछि नृपति कठिन पण पाय।
दरशन देल भेल मन - वान्छित चिन्ता गेलि मेटाय।।
सकल सृष्टि कारिणि जगतारिणि महिमा कहल न जाय।
जगदम्बा अनुकूला अपनहि हम की देब जनाय।।
रामचन्द्र सुन्दर वर जै विधि होथि महीप - जमाय।
जय जय जननी सनातनि सुन्दरि तेहन रचब उपाय।।
( रामायण )
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