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जय देवी महेश - सुन्दरी। हम छी देवि अहाँक किंकरी।।
शिव देह निवास कारिणी। गिरिजा भक्त - समस्त तारिणी।।
हम गोड़ लगैत छी शिवे। जननी भूधरराज - सम्भवे।।
जनता - मन - ताप - नाशिनी। जय कामेश्वरि शम्भु लासिनी।।
महादेव रानी सती श्री मृडानी। सदा सचिदानन्द रूपा अहैं छी।।
अहाँ शैल राजाधिराजाक पुत्री। धरित्री सावित्रीक कत्रीं अहैं छी।।
अहाँ योगमाया सदा निर्भया छी। दया विश्व चैतन्य रुपे रहै छी।
सदा स्वामिनी सानुकूला जतै छी। धनुर्भअंग चिन्ता ततै की सहै छी।।
अपने काँ हम गौरि की कहू। अनुकूला जनि में सदा रहू।।
हमरा जे मन मध्य चिन्तना। सबटा पूरब सहै प्रार्थना।।
चन्दा झा ( रामायण )
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