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श्रीतारा
जय जय भयहरनि , मंजुहासिनि , मधुदमन कञ्जआसनि , शिवसेवित पद कमल तारिणी।।
नवल जलद मञ्जु भास , ज्वलित प्रेम भूमिवास , मुण्डमाल अंति विलास विपदहारिणी।।
तीन नयन अरुण वरन , विश्वव्यापि सलिल सरन ,
ललित धवल कमल युगल चरणधारिणी।।
लम्ब उदर खर्च रूप द्विपि अजिन कटि अनूप
चपल रसन विकट दसन दुरित दारिणी।।
मुद्रापञ्च लसत माथ, खड्ग काति दहिन हाथ ,
बाम मुण्ड कुबल मौलि अक्षौभधारिणी।।
भनत हर्षनाथ नाम , जनक नगर नृपति काम ,
पुरिअ परम करुणधाम भक्ततारिणी।।
( हर्षनाथ काव्य ग्रन्थावली )
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