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श्री गौरी
जय जय गिरिवर नन्दिनि त्रिजगत वन्दिनि हे।
जय जय जनभय भंजिनि असुर निकन्दिनि हे।।
जय जय मृगपति चारिणि दुरित विदारिणि हे।
महिष महासुरमारिणि शिव वसकारिणि हे ।।
जय जय मङ्गलदायिनि सुकृत विधायिनि हे।
शंकर ह्रदय सरोजनाद दसगायिनि हे ।।
गौरी गुणाकर देवि सेवि सुख पावथि हे।
अखिल मनोरथ पूर चंद्र्गुण गावथि हे ।।
( तत्रैव )
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