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श्री सरस्वती
जय जय कुमति विनाशिनि देवि। सभ अभिमत पुर तुअ पद सेवि।।
तनु रूचि निन्दित कुन्दक भास। आनन रूचि शशि बिम्ब उदास।।
आसन धवल कमल शशि भाल। श्वेत वसन लस नयन विशाल।।
वीणा दण्ड कलश धर हाथ। जपमाला वर पुस्तक साथ।।
हर्षनाथ कवि मनदय भान। भगवति करिय अभय वरदान।।
हर्षनाथ ( उदाहरण नाटिका )
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