शुक्रवार, 8 मई 2015

472 . सुख और शांति

४७२ 
सुख और शांति 
गर हो चाहते 
माँ के चरणो में 
ध्यान अपना लगाओ 
माया में मन 
लगाने से भला 
शांति मिल पाते ?
व्यर्थ हो भटकते 
औरों से क्या आशा 
कौन आकर देगा जगा 
कौन भला देगा मिला 
मेरे लिए करेगा कौन साधन 
व्यर्थ है झूठी आशा 
बहलाते जी गर यूँ ही रहे 
एक दिन ठगे जावोगे 
अपना ही जीवन भटकाओगे !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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