ADHURI KAVITA SMRITI
गुरुवार, 7 मई 2015
470 . भर कर मन में मैल खुद
४७०
भर कर मन में मैल खुद
ढूंढते हो सच्चे संत इधर - उधर
कहते हो मिलते अब वो किधर
अपना अहंकार तुम छोड़ नहीं पाते
बांध कर मुष्टि में अहंकार तुम
भटकोगे अगर तुम जीवन भर भी
हाथ अपने मगर कुछ न पावोगे !
सुधीर कुमार ' सवेरा '
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