बुधवार, 20 मई 2015

489. मरना हमको है नहीं

४८९ 
मरना हमको है नहीं 
मारना अज्ञान को है 
हम भला कैसे मरेंगे 
हम हैं अमृत पुत्र 
देह से क्या लेना 
व्यर्थ की यह बात 
जो क्षीण हो रहा 
उससे क्या लेना है 
जो क्षणभंगुर है 
उसकी क्या चिंता करना 
आत्मा को बस जानो 
जो अजर अमर अविनाशी है !

सुधीर कुमार ' सवेरा '

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