मंगलवार, 27 जनवरी 2015

379 .यहाँ किसी से मुझको कोई गिला नहीं

३७९ 
यहाँ किसी से मुझको कोई गिला नहीं ,
मेरे कब्र पे भी गर तेरा सेहरा बने तो मुझे हर्ज नहीं !

खोदा है रास्ते में खंदक उन्होंने ,
आसमां पे जा बिठाया था जिनको हमने !

बड़ी फजीयत हुई इश्क के दौरान 
चैन लूटा 
दिल लूटा 
शोहरत लूटी 
दौलत लूटा 
आबरू लूटी 
विश्वास लूटा 
हम हुए हर तरह से नाकाम 
ये ये तो उनकी बेवफाई थी जीकर भी सह गया 
हम तो भुला न पाये अपनी वफायें !


सुधीर कुमार ' सवेरा ' २३ - ०१ - १९९० 

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