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बहुत की दोस्ती
ये दोस्त तेरे साथ
हर बार सहे
जब - जब किया तुने घात
ये मेरे यार
तुझको मिलेगा हमेशा मेरा प्यार
पर बहुत खेद है मुझे
न रहेगा अब तेरा साथ
मानवीय गुण के कारण मजबूर हूँ
ऊपर से बेहद गमगीन हूँ
कब तक समय के आश में
एक हाथ से ताली बजाता रहूँ
ताली के लिय चाहिए दो हाथ
फिर कहो भला
अब कैसे रहेगा अपना साथ
इतने पर ही गर खिंच लूँ अपना हाथ
श्हयद रह जाए बंधी
जीवन भर दोस्ती की बात
चूँकि अब मैं शायद
धैर्य खो रहा हूँ हर बार !
सुधीर ' कुमार सवेरा ' 19 - 07- 1980
बहुत की दोस्ती
ये दोस्त तेरे साथ
हर बार सहे
जब - जब किया तुने घात
ये मेरे यार
तुझको मिलेगा हमेशा मेरा प्यार
पर बहुत खेद है मुझे
न रहेगा अब तेरा साथ
मानवीय गुण के कारण मजबूर हूँ
ऊपर से बेहद गमगीन हूँ
कब तक समय के आश में
एक हाथ से ताली बजाता रहूँ
ताली के लिय चाहिए दो हाथ
फिर कहो भला
अब कैसे रहेगा अपना साथ
इतने पर ही गर खिंच लूँ अपना हाथ
श्हयद रह जाए बंधी
जीवन भर दोस्ती की बात
चूँकि अब मैं शायद
धैर्य खो रहा हूँ हर बार !
सुधीर ' कुमार सवेरा ' 19 - 07- 1980