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सपनो का महल बनाया कई बार
बनते - बनते टूट गया हर बार
हारा हूँ न हिम्मत अपना
चाहे सजा दे कितना भी ज़माना
मैं देखता रहूँगा सपना
क्यों छोड़ूं उस छण का आनंद
कर लूँ क्यों उससे आँखे बंद
चाहे हो सके न वो अपना
मैं देखता रहूँगा सपना
सपनो का महल बनाया कई बार
बनते - बनते टूट गया हर बार
वो सपने हैं तो सपने
फिर भी दिल को लगते
सच्चे , अच्छे , अपने !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 31-०३-१९८०
सपनो का महल बनाया कई बार
बनते - बनते टूट गया हर बार
हारा हूँ न हिम्मत अपना
चाहे सजा दे कितना भी ज़माना
मैं देखता रहूँगा सपना
क्यों छोड़ूं उस छण का आनंद
कर लूँ क्यों उससे आँखे बंद
चाहे हो सके न वो अपना
मैं देखता रहूँगा सपना
सपनो का महल बनाया कई बार
बनते - बनते टूट गया हर बार
वो सपने हैं तो सपने
फिर भी दिल को लगते
सच्चे , अच्छे , अपने !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 31-०३-१९८०
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