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कैसे कह दूँ माता
बनती हो हर घरी कुमाता
कैसे कह दूँ बहना
हर पल बनती हो सुन्दर छलना
बनते हो तुम दोस्त
कह देता हूँ बस एक ठोस
पीठ पीछे होकर भोंकते हो छुरा
जानते नहीं हो क्या
शब्द का न है कोई नाता
कर्म से ही हैं सब रिश्ते
कर्म का ही है सब नाता
एक बात और तुम जान लो
खुद को तुम पहचान लो
प्यार ही यहाँ हर कोई को भाता
कैसे कह दूँ माता
बनती हो हर छण कुमाता !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १९-०४-१९८०
कैसे कह दूँ माता
बनती हो हर घरी कुमाता
कैसे कह दूँ बहना
हर पल बनती हो सुन्दर छलना
बनते हो तुम दोस्त
कह देता हूँ बस एक ठोस
पीठ पीछे होकर भोंकते हो छुरा
जानते नहीं हो क्या
शब्द का न है कोई नाता
कर्म से ही हैं सब रिश्ते
कर्म का ही है सब नाता
एक बात और तुम जान लो
खुद को तुम पहचान लो
प्यार ही यहाँ हर कोई को भाता
कैसे कह दूँ माता
बनती हो हर छण कुमाता !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १९-०४-१९८०
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