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कांटे ,
पतझर ,
शीशम ,
गुलाब ,
सभी हैं वक्त के साथ
वाह रे वक्त तेरा जबाब नहीं
तिल को तार नहीं
राई को रस्सी नहीं
बूंद को सागर नहीं
किया तो क्या किया ?
याद रखूंगा मैं भी तुझे
क्या - क्या न तुने किया
मन न भड़ा तो पेट पीठ एक कराया
अब चूस लिया तुने
छोड़ा क्या जो छोड़ा ओ भी ले
उफ न करूँगा आह न भरूँगा
भर जाए तेरा मन
बस इतनी दुआ
मैं रब से करूँगा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०३-०३-१९८०
कांटे ,
पतझर ,
शीशम ,
गुलाब ,
सभी हैं वक्त के साथ
वाह रे वक्त तेरा जबाब नहीं
तिल को तार नहीं
राई को रस्सी नहीं
बूंद को सागर नहीं
किया तो क्या किया ?
याद रखूंगा मैं भी तुझे
क्या - क्या न तुने किया
मन न भड़ा तो पेट पीठ एक कराया
अब चूस लिया तुने
छोड़ा क्या जो छोड़ा ओ भी ले
उफ न करूँगा आह न भरूँगा
भर जाए तेरा मन
बस इतनी दुआ
मैं रब से करूँगा !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' ०३-०३-१९८०
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