33-
आज के मानव को
ये क्या हो गया है उसको
जब जरुरत पड़ी
बाप बदल दिया
आज का मानव
न जाने कितनों को
बना लिया है पिता
जरुरत पड़ी जब
गदहे को भी कह दिया बाप
आज का मानव
सच में बन कर रह गया है
मात्र गदहे का औलाद
ढोता फिर रहा है
छल , कपट , इर्ष्या , द्वेष
धोखा और बेईमानी का भार !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १०-१२-१९८३
आज के मानव को
ये क्या हो गया है उसको
जब जरुरत पड़ी
बाप बदल दिया
आज का मानव
न जाने कितनों को
बना लिया है पिता
जरुरत पड़ी जब
गदहे को भी कह दिया बाप
आज का मानव
सच में बन कर रह गया है
मात्र गदहे का औलाद
ढोता फिर रहा है
छल , कपट , इर्ष्या , द्वेष
धोखा और बेईमानी का भार !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' १०-१२-१९८३
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें