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भगवती गीत
जागहु हे जगदम्ब जननि मोरि , हरिए सकल दुख सारे।
तुअ दरशन बिनु नैन विकल भेल , कखन देखब देवि तारे।।
हम अबला अवलम्ब दोसर नहि , केवल तोहर भरोसे।
तोहें जगतारिणि देहु एहो वर , सेवक करहु परोसे।।
हमर विकल मन धान दसो दिसि , की गति होएत मोरे।
अशरण शरण धयल हम तुअ पद , तोहरे चरण गति मोरे।।
तोहें जगतारिणि शत्रु संहारिणि , सेवक होउ ने सहाये।
हरषि हेरिय देवि सुदिष्ट नयन , भरि संकट करिय तराने।
होउ प्रसन्न देवि पुरहु सकल मन , दीअ अभय वरदाने।।
( मैथिल भक्त प्रकाश )
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