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भगवती गीत
नील वरनी शम्भु घरनी छिरिक छवि जनु दामिनी।
पाय नुपुर रजत किंकिणि सुनत सुर नर मोहिनी।।
कठिन खरगहिं लिये दुर्गे स्रवन झलकत टंकनी।
अरुण नैना हसत वैना संग कोटिस योगिनी।।
चन्द्र भाल भुजंग भूषित करहु असुर निखंडिनी।
विन्ध्यवासिनि होउ दाहिनि सुनहु हे भव पारनी।।
भूप से द्विपनाथ सुत देवनाथ सहित निवासनी।।
( मैथिल भक्त प्रकाश ) देवनाथ
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