ADHURI KAVITA SMRITI
शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016
618 . जै जै कमला विमल तुअ वारि। विधु भगिनी जे उदधि कुमारि।।
६१८
कमला
जै जै कमला विमल तुअ वारि।
विधु भगिनी जे उदधि कुमारि।।
फोड़ि पहाड़ धार वह नीर। दरस परस जल हर सभ पीर।।
ताल सरोवर खण्डन कारी। ----------------------------
( तत्रैव )
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