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प्रनमों भगवति पद अरविन्द। मानस हमर करिअ सानन्द।।
जइओ सतत तुअ भगति विहीन। तइओ न उचित रहिअ हम दिन।।
जयों कर तनय सहस अपराध। न कर जननि परिपालन बाघ।।
जदि तेजिअ मोहि पर - सुत जानि। जग जननी - पद तएह हानि।।
अञ्जलि बाँधि निवेदिअ तोहि। हर गेहिनि परसनि रहु मोहि।।
तुअ पद प्रणत रमापति भान। पतक हरिअ करिअ वरदान।।
( तत्रैव )
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