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श्रीसीता
जनकलली महिमा गुन भारी !
चिन्तित कमल चरण ब्रह्मादिक परिहरि ह्रदय पदारथ चारी।।
शुक सनकादि चरण रज चाहत ध्यान धरत मुनि कानन झारी।।
शेष गनेस निगम गुन गावत भजत समाधि लाए त्रिपुरारी।।
जीवन जन्म सुफल तोहि साहेब जे जन जगत भगति अधिकारी।।
( साहेबरामदास गीतावली ) साहेबरामदास
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