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कालिका
जै कालिका स्वर्गधारिनि मत्त गजवर गामिनी।
चिकुर चामर चन्दन तिलक चान सुमांगनी।।
कनक कुण्डल गंड मण्डित संग नाच पिशाचनी।
भौह भ्रमर कमान साजिल दसन जगमग दामिनी।
अधर लाल विशाल लोचन शोक मोचनि शूलिनी।
विकट आनन् अति भयावनि हाथ खप्पर धारिनी।।
योगिनी गण यूथ खलखल नाच - नाच पिशाचनी।
श्याम तनु अभिराम सुन्दर बाज रुनझुनु किंकिनी।।
जंध केदलि अंग कुन्तल पाद पदम विभूषणी।
करजोरि जैकृष्ण करत गोचर शम्भुवाहिनि दाहिनी।
हरषि हेरिअ तोहि शंकरि त्वरित दुःख निवारिणी।।
( मैथिल भक्त प्रकाश ) जयकृष्ण
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