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ऐ हवा ऐ फिज़ा तुमने तो उन्हें देखा है
लता जैसा तन और फूल सा जिनका चेहरा है
हर रात परवाना शमा पे मरता है
पर कौन है जो उसके इस दर्द को समझता है
प्यार ही है वो रास्ता
जो खुदा तक है पहुँचता
जिसने प्यार न किया
वो खुदा को जाना नहीं
प्यार ही है वो सुरमा
जिसे लगाने पर हर कोई अच्छा लगता है
राम जाने क्यों उनसे ही क्यों
मुझको हुई है ऐसी मोहब्बत
हर और मुझे उनका ही चेहरा दिखता है
ऐ हवा ऐ फिज़ा तुमने तो उन्हें देखा है
लता जैसा तन और फूल सा जिनका चेहरा है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-03-1980
ऐ हवा ऐ फिज़ा तुमने तो उन्हें देखा है
लता जैसा तन और फूल सा जिनका चेहरा है
हर रात परवाना शमा पे मरता है
पर कौन है जो उसके इस दर्द को समझता है
प्यार ही है वो रास्ता
जो खुदा तक है पहुँचता
जिसने प्यार न किया
वो खुदा को जाना नहीं
प्यार ही है वो सुरमा
जिसे लगाने पर हर कोई अच्छा लगता है
राम जाने क्यों उनसे ही क्यों
मुझको हुई है ऐसी मोहब्बत
हर और मुझे उनका ही चेहरा दिखता है
ऐ हवा ऐ फिज़ा तुमने तो उन्हें देखा है
लता जैसा तन और फूल सा जिनका चेहरा है !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 12-03-1980
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