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उजाड़ के जिंदगी औरों की
खुशियाँ मनाते हैं लोग
चमन में आग लगा के किसी के
कह - कहे लगाते हैं लोग
दर - बदर करना ही उनकी फितरत है
काँटे चुभो - चुभो के
मुस्कुराते हैं लोग
दया रहम से उन्हें वास्ता नहीं
ठोकड़ में पड़े को
ठोकड़ लगाते हैं लोग
जिन्दादिली के नाम पर
सभी जिंदा हैं
पर दिल से खाली हैं लोग
औरों के दामन के दाग देखते हैं
खुद दामन से दागदार हैं लोग
बेनकाब औरों को करते रहते हैं
खुद नकाब में छिपे हैं जो लोग
प्यार और विश्वास करके
नफरत और विश्वासघात
करते हैं लोग
सच बात और आदर्श कहने पर
पापी और दुराचारी कहते हैं लोग
परोपकार करने को भी
ठगना ही कहते हैं लोग !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 01-09-1983 समस्तीपुर
उजाड़ के जिंदगी औरों की
खुशियाँ मनाते हैं लोग
चमन में आग लगा के किसी के
कह - कहे लगाते हैं लोग
दर - बदर करना ही उनकी फितरत है
काँटे चुभो - चुभो के
मुस्कुराते हैं लोग
दया रहम से उन्हें वास्ता नहीं
ठोकड़ में पड़े को
ठोकड़ लगाते हैं लोग
जिन्दादिली के नाम पर
सभी जिंदा हैं
पर दिल से खाली हैं लोग
औरों के दामन के दाग देखते हैं
खुद दामन से दागदार हैं लोग
बेनकाब औरों को करते रहते हैं
खुद नकाब में छिपे हैं जो लोग
प्यार और विश्वास करके
नफरत और विश्वासघात
करते हैं लोग
सच बात और आदर्श कहने पर
पापी और दुराचारी कहते हैं लोग
परोपकार करने को भी
ठगना ही कहते हैं लोग !
सुधीर कुमार ' सवेरा ' 01-09-1983 समस्तीपुर
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